शब्दों में जाहिर करना आज़ादी की गरिमा को, मेरे बस की बात नहीं, खून से सींचा हैं शहीदों ने ये अपना तिरंगा,इसके सामने शिश झुकना कोई छोटी बात नहीं। लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
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