असली दिवाली

दसहरा पर रावण जलाना सबको बड़ा भाता है ,
पर अपने अंदर का रावण कोई देख भी नहीं पाता है ,
जलता हुआ रावण जोर -जोर से चिल्लाता है ,
है कोई आज जो श्री राम के गुणों को अपनाता है ,
रावण ही बस भरे हुए है राम जी के वेश में ,
अपना उल्लू सीधा करते सामाजिक परिवेश में ,
मेघनाथ और कुम्ब्करण भी जलते -जलते चिल्लाते है ,
पितृ-भक्ति और भाईचारे का सन्देश सुनाते है ,
राम जी आये जब घर पर तब हमने दीप जगाये ,
सब ने घुल -मिल कर खुशियों के गीत गाये ,
यही त्यौहार हमारा दीपावली कहलाए ,
पर आज हमारी दिवाली केवल बम विस्फोट है ,
भाईचारे के नाम पर सब के मन में खोट है ,
दिवाली में साथ में तस्वीरें सभी खींचाते है ,
तकलीफें जो आन पड़े तो साथ नहीं निभाते है ,
न जाने कब हम असली दिवाली मनाएंगे ,
भाईचारे और प्रेम से अपने रिश्ते निभाएंगे।

By- Ritesh Goel'Besudh'


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