करवाचौथ - एक हास्य हिंदी कविता

शादी कर कर हमने अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारी ,
हम पर भारी पड़ गई देखो हमारी नारी ,
मैडम कर रही है फिर से करवाचौथ की तैयारी ,
फरमाइशों की लिस्ट तैयार है सारी ,
एक बार फिर से हमको मस्का लगाया जायेगा ,
जानू - जानू कहकर फिर से बुलाया जायेगा ,
पुरे साल हमको उल्लू बनाया जाता है,
एक दिन हमको पतिदेव बुलाया जाता है ,
चार बजे सुबह उठकर पुरे दिन का ठूस लेती है ,
इस तरह वो देवियाँ उपवास कर लेती है ,
हमसे ज्यादा उस दिन चाँद की तलाश रहती है ,
भोजन ठूस लेने की हर पल आस रहती है ,
शायद किसी नारी ने ही ये करवाचौथ बनाया था ,
अपने पति के प्राणों को वश में करके दिखाया था ,
364 दिन वो अपने पति को जीने ना देती थी ,
एक दिन के इस व्रत से उसे मरने भी न देती थी ,
सदियों से यहीं परम्परा चली आ रही है भाई ,
करवाचौथ का व्रत करके मरने भी नहीं देती लुगाई ,
खैर यह सब तो एक हंसी ठिठौला है ,
पति -पत्नी का रिश्ता एकदम मस्त -मौला है,
करवाचौथ का यह त्यौहार उनके रिश्ते मजबूत बनाता है ,
एक -दूजे की अहमियत एक -दूजे को बताता है.
अब आप कहेंगे हास्य में ये गम्भीरता जरुरी नहीं थी यार ,
पर क्या करे करना पड़ता है क्योकि हम भी शादीशुदा है यार।

By- Ritesh Goel 'Besudh'


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